नियमित चेकअप नहीं कराने से 30 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के बच्चे पैदा हो रहे हैं प्री-मेच्योर : सिंह

राजकीय जनाना अस्पताल में प्रसव के लिए 40 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं ऐसी आ रही हैं, जो नियमित एंटी नेटल चेकअप नहीं करवा रहीं। इससे 30 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के प्री-मेच्योर बच्चे हो रहे हैं। अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. के.एस. सिंह का कहना है कि प्रीमेच्योर होने पर बच्चे के फेफड़े और अन्य अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते। एफबीएनसी वार्ड में इन दिनों रोजाना 2-3 बच्चे भर्ती करने पड़ रहे हैं। नवजात के प्री-मेच्योर होने का मुख्य कारण प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का समय पर मेडिकल चेकअप नहीं करवाना है और खानपान अच्छा नहीं होना है। इस कारण बच्चे के पालन पोषण में भी कई दिक्कतें आने लगती हैं और वह कुपोषित रहते हैं। नयति हॉस्पीटल मथुरा के शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. नूरूल का कहना है कि गर्भ में बच्चे का वजन बाद में बढ़ता है। प्रसव के टर्म निर्धारित हैं, जिसमें 37 से 40 हफ्ते का समय पूरा समय कहलाता है। 40 से 41 हफ्ते का समय अधिक टर्म का होता है, जबकि 34 से 37 हफ्ते लेट प्री मेच्योर और 34 हफ्ते से नीचे प्री-मेच्योर कहलाता है। परंतु 60 प्रतिशत महिलाओं के बच्चे 32 हफ्ते में जन्म ले रहे हैं। इस कारण बच्चे का वजन भी एक किलो के आस पास ही रहता है। उनका कहना है कि जो महिला प्रेग्नेंसी के दौरान रूटीन चेकअप की अनदेखी करती हैं, वे अपने साथ-साथ बच्चे के लिए भी मुसीबत खड़ी करती है और वह प्री-मेच्योर होता है। नयति हॉस्पीटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. प्रीति भदौरिया का कहना है कि महिला को जब प्रेग्नेंसी का पता चलता है तो उसे स्पेशलिस्ट के पास अपना नॉर्मल चेकअप करवाना शुरू कर देना चाहिए।